हर साल ज्येष्ठ मास में ग्रीष्म ऋतु के साथ नौतपा की शुरुआत होती है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक जब सूर्य देव चंद्रमा के नक्षत्र यानी रोहिणी में प्रवेश करते हैं तब से नौतपा का आरंभ माना जाता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके बाद नौ दिन का नौतपा रहेगा। इसके साथ ही सूर्य देव 8 जून तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे। रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव के प्रवेश से नौतपा भी प्रारंभ हो जाएंगे। सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में कुल 15 दिनों तक विराजमान रहते हैं। इसके शुरुआत के नौ दिन सबसे अधिक गर्मी वाला होता है। क्योंकि इस दौरान सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ती है और प्रचंड गर्मी का एहसास होता है। नौतपा 9 दिनों के पीरियड का एक महत्व पूर्ण मौसमी घटनाक्रम है। यह तब शुरू होती है जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में 15 दिन के लिए प्रवेश करते हैं और शुरुआत के 9 दिन धरती काफी तेज तपती है। इन्हीं शुरुआती 9 दिनों को नौतपा कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान सूर्य पृथ्वी पर लंबवत पड़ती है। यह आमूमन मई-जून महीने के बीच आती है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नौतपा से आशय सूर्य का नौ दिनों तक अपने सर्वोच्च ताप में होना है यानि इस दौरान गर्मी अपने चरम पर होती है। चंद्र देव रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं, जो शीतलता का कारक हैं, परंतु इस समय वे सूर्य के प्रभाव में आ जाते हैं। जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नौतपा के कारण कोरोना महामारी संक्रमण में कमी आयेगी। कोरोना महामारी संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी और कोरोना का असर न्यूनतम होगा। देश में फैला डर का माहौल खत्म होगा। लोगों में अनुकूलता और आरोग्यता भी बढ़ेगी। खगोल विज्ञान के अनुसार इस दौरान धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लम्बवत पड़ती हैं। जिस कारण तापमान अधिक बढ़ जाता है। यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है।
नौतपा कब से कब तक
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि नौतपा हर बार मई-जून महीने के बीच ग्रीष्म ऋतु में आती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इसबार सूर्य देव सोमवार 22 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। रोहिणी नक्षत्र में गोचर करने के बाद सूर्य 8 जून को दूसरे नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इस तरह इस साल सूर्य ग्रह रोहिणी नक्षत्र में 15 दिन तक ही रहेंगे। इस साल नौतपा 22 मई से शुरू हो रहा है, जो शुरुआती के 9 दिन तक रहेगा। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, चंद्र देव रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं और शीतलता के कारक हैं। ऐसे में जब सूर्य रोहिणी में गोचर करते है तो उस नक्षत्र को भी अपने प्रभाव में ले लेते हैं। इस वजह से पृथ्वी को शीतलता बिलकुल भी नहीं मिल पाती। ऐसे में तापमान बढ़ने लगता है और गर्मी काफी बढ़ जाती है। नौतपा का उल्लेख ज्योतिषीय सूर्य सिद्धांत और श्रीमद् भागवत में भी मिलता है।
नौतपा का वैज्ञानिक आधार
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि नौतपा सिर्फ ज्योतिष में ही नहीं बलिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्व रखता है। इसके अनुसार, नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधी धरती पर पड़ती है, जिसके कारण तापमान सर्वाधिक होता है। तापमान बढ़ने से मैदानी इलाकों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है, जो समुद्र की लहरों को अपने तरफ आकर्षित करता है। इस कारण पृथ्वी के कई हिस्सों पर ठंडी हवाएं, तूफान और बारिश होने की संभावना होती है।
नौतपा का पौराणिक महत्व
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि नौतपा का ज्योतिष के साथ-साथ पौराणिक महत्व भी है। ज्योतिष के सूर्य सिद्धांत और श्रीमद् भागवत में नौतपा का वर्णन आता है। कहते हैं जब से ज्योतिष की रचना हुई, तभी से ही नौतपा भी चला आ रहा है। सनातन सस्कृति में सदियों से सूर्य को देवता के रूप में भी पूजा जाता रहा है। नौतपा को लेकर लोक मान्यता है कि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो आगे के दिनों में अच्छी बारिश होती है। ज्योतिषों का कहना है कि चंद्रमा जब ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र तक अपनी स्थितियों में हो और इसके साथ ही अधिक गर्मी पड़े, तो वह नौतपा कहलाता है। वहीं अगर सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है तो उस दौरान बारिश हो जाती है तो इसे रोहिणी नक्षत्र का गलना भी कहा जाता है।
क्या करें और क्या न करें
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव में नवत्पा 25 मई से शुरू हो रहा है। नौतपा के दिनों में विवाह जैसी मांगलिक यात्रा में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ग्रहों की स्थिति को देखते हुए देश के पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में प्राकृतिक आपदाएं पैदा हो रही हैं। यह नौतपा 02 जून तक चलेगा। नौतपा के दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहता है। इसके फलस्वरूप सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं, इस दौरान अत्यधिक भीषण गर्मी देखी जा सकती है। सूर्य की मौजूदा स्थिति अशुभ फल दे सकती है। वृष राशि वालों के लिए वर्तमान समय खराब है।
– डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक
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