सरकार ने भारी उपकरण बनाने वाली कंपनियों से घरेलू बाजार में ऐसी मशीनरी का विनिर्माण करने को कहा है जिसका फिलहाल आयात होता है। इससे सालाना 3,500 करोड़ रुपये मूल्य के आयात में कमी लाने में मदद मिलेगी।
कोयला मंत्रालय ने सोमवार को बयान में कहा कि फिलहाल कोल इंडिया लि. अकेले 3,500 करोड़ रुपये मूल्य की उच्च क्षमता वाले उपकरणों का आयात करती है। साथ ही सीमा शुल्क के रूप में 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान करती है। आयात के माध्यम से मशीनरी खरीदने पर भारी खर्च होता है।
मंत्रालय ने कहा कि वह उच्च क्षमता वाले खनन उपकरणों के आयात पर देश की निर्भरता कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये कोयला खनन क्षेत्र में स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं को विकसित करने को लेकर निरंतर प्रयास कर रहा है।
इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है। इसके सदस्यों में विभिन्न मंत्रालयों, निजी और सार्वजनिक कंपनियों तथा उद्योग संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
मंत्रालय ने सोमवार को समीक्षा बैठक में भारी मशीनरी (हेवी अर्थ मूविंग मशीनरी) और ‘हाई वॉल’ जैसे भूमिगत खनन उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के तरीकों का सुझाव देने के लिये संबंधित पक्षों के साथ परामर्श किया गया।
कोयला मंत्रालय ने कहा, ‘‘घरेलू उपकरण विनिर्माताओं की क्षमताओं को प्रोत्साहित और विकसित कर अगले पांच से छह साल में आयात को समाप्त करने की योजना बनाई गई है।’’
मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक स्तर पर नामी उपकरण विनिर्माता कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम और गठजोड़ को प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत है।