सब्जी, तेल जैसे खाद्य उत्पाद सस्ते होने से अप्रैल महीने में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 18 महीनों के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गयी। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़े में यह जानकारी दी गई।
यह लगातार दूसरा महीना है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे (दो से छह प्रतिशत) में है। आरबीआई को मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
आंकड़ों के अनुसार सीपीआई-आधारित खुदरा मुद्रास्फीति इस साल मार्च में 5.66 प्रतिशत तथा एक साल पहले अप्रैल महीने में 7.79 प्रतिशत थी।
अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर अक्टूबर 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर है। उस समय यह 4.48 प्रतिशत रही थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अप्रैल में 3.84 प्रतिशत रही जो मार्च में 4.79 प्रतिशत थी। एक साल पहले अप्रैल महीने में 8.31 प्रतिशत थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी करीब आधी होती है।
अनाज, दूध और फल आदि की कीमतें बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2022 में 5.7 प्रतिशत से बढ़कर इस साल फरवरी में 6.4 प्रतिशत पर आ गयी थी।
एनएसओ के ताजा आंकड़ों के अनुसार अप्रैल महीने में तेल एवं वसा के दाम सालाना आधार पर 12.33 प्रतिशत घटे।
वहीं सब्जियों के दाम 6.5 प्रतिशत, मांस और मछली 1.23 प्रतिशत कम हुए।
दूसरी तरफ मसाला, अनाज और उत्पाद तथा दूध एवं दूध उत्पाद महंगे हुए।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘अप्रैल महीने में मुद्रास्फीति 18 महीने के निचले स्तर पर आ गयी। इसका मुख्य कारण उच्च तुलनात्मक आधार के साथ तापमान का सामान्य से कम होना है। इससे जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं के दाम में मौसमी तेजी देखने को नहीं मिली।’’
उन्होंने कहा, ‘‘…इक्रा का अनुमान है कि खुदरा मुद्रास्फीति इस साल मई-जून में 4.7 प्रतिशत से 5.0 प्रतिशत के दायरे में रहेगी।’’
नायर के मुताबिक, खुदरा मुद्रास्फीति के पांच प्रतिशत से नीचे रहने और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में वृद्धि कम रहने से अनुमान है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अगली बैठक में नीतिगत दर को यथावत रख सकता है।
आरबीआई नीतिगत दर पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर ही गौर करता है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
केंद्रीय बैंक ने महंगाई को काबू में लाने के लिये मई 2022 से नीतिगत दर रेपो में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। हालांकि अप्रैल में मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को यथावत रखा गया।
एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति ग्रामीण क्षेत्रों में अप्रैल में 4.68 प्रतिशत जबकि शहरी क्षेत्रों में 4.85 प्रतिशत रही।