सनदी लेखाकारों (चार्टर्ड अकाउंटेंट) ने धनशोधन निवारण कानून के दायरे को बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय की हालिया अधिसूचना पर स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने आशंका जताई है कि इसका कारोबारी सुगमता और विदेशी निवेश पर विपरीत असर पड़ सकता है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) और कंपनी सचिव (सीएस) अक्सर भारत में व्यवसाय शुरू करने वाली विदेशी कंपनियों के लिए एजेंट के रूप में काम करते हैं और आमतौर पर शुरुआत में पत्राचार के लिए अपना पता देते हैं।
उद्योग सूत्रों के अनुसार वे देश में उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही विदेशी कंपनी के निवासी निदेशकों के रूप में भी कार्य करते हैं और अपने ग्राहकों की ओर से बैंक खाते भी संचालित करते हैं।
उद्योग सूत्रों ने कहा कि ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे एक लेखाकार यह जान सके कि एक निवेशक भारत में जो पैसा ला रहा है, वह वैध है या शोधित धन है। वे इसके स्रोत को सत्यापित नहीं कर सकते हैं।
वित्त मंत्रालय ने हाल के महीनों में धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के दायरे को कड़ा और विस्तारित किया है।
आतंकवाद के वित्तपोषण और धनशोधन पर वैश्विक निगरानीकर्ता की इस साल होने वाली समीक्षा के मद्देनजर ऐसा किया गया है।
इस कवायद के तहत चार्टर्ड अकाउंटेंट, लागत लेखाकारों और कंपनी सचिवों को पीएमएलए के दायरे में शामिल किया गया है। अगर वे अपने ग्राहकों की ओर से लेनदेन करते हैं, तो उनपर यह कानून लागू होगा। इन लेनदेन में संपत्तियों की खरीद और बिक्री, बैंक खातों या अन्य संपत्तियों का प्रबंधन और कंपनियों का प्रबंधन शामिल है।