दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट बनी रही और सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल जैसे सभी खाद्य तेलों में हानि दर्ज हुई।
बाजार के जानकार सूत्रों ने बताया कि जो मौजूदा हालात हैं, उससे लगता है कि देश खाद्य तेल के मामले में पूरी तरह अब आयात पर निर्भर होने जा रहा है जिसकी शुरुआत हो चुकी है।
सूत्रों ने कहा कि इस बार देशी तिलहन किसानों (सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला के किसान) और देश के तेल पेराई उद्योग की जो दुर्गति हुई है उसे सालों तक भुलाना मुश्किल होगा।
मलेशिया एक्सचेंज में 1.5 प्रतिशत की गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज 3.25 प्रतिशत नीचे है।
सूत्रों ने कहा कि विश्व में खाद्य तेलों की भरमार होने के बीच सभी अपने खाद्य तेल को भारत में ‘डंप’ कर रहे हैं। सरकार के लिए मौजूदा स्थिति संकेत दे रही है कि भारत पूरी तरह से खाद्य तेल के लिए आयात पर निर्भर होने जा रहा है। अब जितने भी प्रयास किये जायें किसान तिलहन बुवाई में परहेज करेंगे।
सूत्रों ने कहा कि क्या तिलहन बुवाई करने और उसके खपने की गारंटी के लिए किसानों को इस बात का इंतजार करना होगा कि विदेशों में खाद्य तेलों के दाम महंगे होंगे या नहीं ? इस बार जो तिलहन उत्पादन बढ़ा है उसका मुख्य कारण पिछले दो साल में किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त होना रहा है।
सूत्रों ने कहा कि देश में काफी लोग मौजूदा स्थिति का मतलब सिर्फ यह निकालते है कि ‘खाद्य तेल सस्ते हुए। पिछले लगभग 25 वर्षों से जिन लोगों को खाद्य तेलों की महंगाई को लेकर चिंता सताती है, शायद उन्हें जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं कि देश में उपजे सरसों, सोयाबीन, बिनौला तिलहन किसानों की हालत खराब है और तेल मिलें किस कदर परेशान हैं कि उन्हें बड़ी संख्या में अपनी मिलों का परिचालन बंद करना पड़ा है।
राजधानी दिल्ली में तिलहन किसान पूरे तीन दिन अपनी उपज के साथ नजफगढ़ मंडी में बैठे रहे पर उपज के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कम बोले गये।
अर्थशास्त्र के नियम के अनुसार अगर पिछले 25 साल में खाद्यतेल के दाम महंगे हुए होते तो देश में खाद्य तेलों का उत्पादन इतनी भारी मात्रा में हो जाना चाहिये था कि देश तेल- तिलहन के मामले में आत्मनिर्भर हो गया होता।
सूत्रों ने कहा कि शायद तेल सस्ता होने की सोच रखने वालों को इस हकीकत की जानकारी न हो कि चावल भूसी का थोक दाम लगभग 85 रुपये लीटर बैठता है और खुदरा में पहले यह 190 रुपये लीटर बिक रहा था जो बाद में घटाकर 170 रुपये लीटर के भाव बेचा जा रहा है। बंदरगाह पर सूरजमुखी तेल का थोक दाम बैठता है- 80 रुपये लीटर और खुदरा में यह तेल 150 रुपये लीटर के भाव बिक रहा है। देश का हर किसान तिलहन की खेती से संबंध रखता है, उनकी कौन परवाह करेगा?
इससे देश का डेयरी क्षेत्र का भी गहरा नाता है और तेल खली के महंगा होने से कई बार दूध के दामों में बढ़ोतरी करनी पड़ी है।
सूत्रों ने कहा कि अगर किसानों को अच्छे दाम मिलें तो इससे किसानों की क्रय शक्ति ही बढ़ेगी और यह धन अर्थव्यवस्था का ही हिस्सा रहेगा लेकिन शायद लोग गहराई से विचार करना नहीं चाहते।
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 4,880-4,980 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,620-6,680 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,440 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,465-2,730 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 9,230 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,575-1,655 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,575-1,685 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,650 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,275-5,325 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 5,025-5,105 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।