चाहे देश में नौकरीपेशा व्यक्ति हो या फिर व्यापारी, सभी को अपनी अपनी इनकम पर टैक्स देना पड़ता है। हालांकि, शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा होगा जिसे टैक्स देना पसंद हो। आलम यह है कि हर कोई टैक्स पर बचत करना चाहता है। इसके लिए सरकार की तरफ से कई तरह के इंवेस्टमेंट स्कीम्स के साथ दूसरे ऑप्शंस भी उपलब्ध हैं जिनके ज़रिए टैक्स पर बचत की जा सकती है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 इसी महीने से शुरू हुआ है। इसलिए आगे की योजना आप इत्मीनान से बनाइए। कुछ उपायों को अपनाकर टैक्स पर बचत की जा सकती है। वहीं, कई लोग टैक्स बचाने के चक्कर में अनाप-शनाप चीजों में पैसे लगा देते हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आप कानूनी तरीके से कैसे ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं। यहां पर हम आपको कुछ तरीके बता रहे हैं, जो टैक्स सेविंग में आपकी काफी मदद करेंगे।
1. पब्लिक प्रोविडेंट फंड
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) को संक्षेप में पीपीएफ कहा जाता है। सरकार की इस स्कीम में इंवेस्ट करके निवेशक को टैक्स में छूट मिलती है। पीपीएफ के तहत इंवेस्ट की गई राशि, उस पर मिला इंट्रेस्ट और साथ ही उस राशि के मैच्योर होने पर उसे निकालना, ये सभी टैक्स फ्री होता है। जानकारों की मानें तो बॉन्ड यील्ड बढ़ने के बावजूद स्मॉल सेविंग स्कीमों पर मिलने वाले ब्याज में कोई इजाफा नहीं किया गया। फिर भी टैक्स फ्री होने के नाते पीपीएफ बैंक डिपॉजिट से ज्यादा आकर्षक विकल्प है।
बता दें कि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें सरकारी बॉन्ड यील्ड से जुड़ी होती हैं। 2022 के दौरान सरकारी बॉन्ड यील्ड में लगातार बढ़ोतरी हुई, लेकिन छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ। हालांकि, 7.1 फीसदी की ब्याज दर बैंकों के मुकाबले बेहतर ही है। पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है। वहीं, एफडी पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आता है। पांच साल पूरा होने के बाद आंशिक निकासी की सुविधा भी मिल जाती है। पीपीएफ अकाउंट ऑनलाइन भी खुलवाए जा सकते हैं।
2. हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज
स्वास्थ्य बीमा यानी हेल्थ इंश्योरेंस भी सरकार की एक स्कीम है जो मेडिकल में काफी काम की होती है। हेल्थ इंश्योरेंस कराने पर भी टैक्स में छूट मिलती है। वहीं, जहां तक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज की बात है तो यह टैक्स बचाने का सबसे खराब तरीका है। इसका मुख्य फायदा भी टैक्स बचाना नहीं है। लेकिन, इन्हें अब भी टैक्स बचाने का तरीका कहकर बेचा जा रहा है। वैसे तो लाइफ इंश्योरेंस महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनसे लक्ष्यों को सुरक्षित करने में मदद मिलती है। लेकिन, यह काम शुद्ध टर्म प्लान से भी पूरा हो सकता है। इसमें पारंपरिक एंडोमेंट पॉलिसी या मनी बैक पॉलिसी से कहीं कम खर्च बैठेगा। पारंपरिक पॉलिसी में सबसे बड़ी कमी यह है कि इनमें लाइफ कवर काफी कम मिलता है। इंश्योरेंस प्रीमियम पर 80सी के तहत टैक्स बेनिफिट उपलब्ध है। पॉलिसी इनकम पर सेक्शन 10(10डी) के तहत टैक्स छूट मिलती है।
3. टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉज़िट
टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉज़िट यानी टैक्स सेविंग एफडी भी सरकार की एक इंवेस्टमेंट स्कीम है। जिसमें इंवेस्ट करके भी टैक्स में छूट मिलती है। जिन वरिष्ठ नागरिकों की सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम में निवेश सीमा खत्म हो चुकी है, उनके लिए टैक्स सेविंग एफडी अच्छा विकल्प है। इनमें अब ब्याज भी 7 प्रतिशत से अधिक मिल रहा है। यह लुभावनी दर है, लेकिन टैक्स के चलते रिटर्न कम हो जाता है। जानकार बताते हैं कि, ‘स्लैब रेट पर ब्याज पूरी तरह से टैक्सेबल है, इसलिए 30 प्रतिशत टैक्स ब्रैकेट में निवेशकों के लिए पोस्ट-टैक्स रिटर्न 5 फीसदी से कम है।’ लेकिन टैक्स सेविंग एफडी का एक बड़ा फायदा यह है कि इसमें बहुत जल्दी निवेश किया जा सकता है। बस आपको नेटबैंकिंग अकाउंट में लॉग ऑन करना है और कुछ ही क्लिक में आपका काम हो जाएगा।
4. म्यूचुअल फंड ईएलएसएस स्कीम
म्यूचुअल फंड की ईएलएसएस स्कीम भी इंवेस्टमेंट के लिहाज से एक अच्छी स्कीम है। साथ ही इससे टैक्स में छूट भी मिलती है। हालांकि इस स्कीम पर रिटर्न मार्केट में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। ऐसे में रिस्क बनी रहती है। इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस भी टैक्स बचाने के लिहाज से अच्छा जरिया हैं। हालांकि, इस साल इक्विटी मार्केट बहुत स्थिर नहीं दिख रहा। वैश्विक मंदी की आशंका, ऊंची महंगाई दर और सुस्त मांग का सीधा मतलब यह है कि आने वाले महीनों में कॉरपोरेट मुनाफा कम हो सकता है। जानकारों का कहना है कि, ‘इस साल बाजार अस्थिर रहेगा, इसलिए इक्विटी निवेशकों को उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए। यहां तक कि पूंजी में गिरावट भी दिख सकती है।’ अगर इस चीज को नजरअंदाज कर दें, तो ईएलएसएस फंड बाकी सभी मायने में अच्छे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह कि ये पारदर्शी हैं, इनकी लागत बहुत कम है और तीन साल की लॉक-इन अवधि सभी टैक्स-सेविंग ऑप्शन में सबसे कम है। लेकिन ये इक्विटी फंड हैं और आदर्श रूप से इनमें मंथली एसआईपी के जरिए निवेश करना चाहिए।
5. नेशनल पेंशन स्कीम
नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) भी टैक्स में छूट पाने के लिए एक अच्छा ऑप्शन है, जो टैक्स सेविंग के लिए टॉप पिक पर है, क्योंकि साल 2023 में इक्विटी के मुकाबले डेट इनवेस्टमेंट से ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि इसमें तीन तरीकों से डेढ लाख रुपये तक का योगदान सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन के रूप में क्लेम किया जा सकता है। दूसरा, सेक्शन 80सीसीडी(1बी) के तहत 50 हजार रुपये के अतिरिक्त डिडक्शन का प्रावधान है। तीसरा, यदि कंपनी आपकी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी तक एनपीएस में डालती है, तो वह रकम टैक्सेबल नहीं होगी।
वहीं, नैशनल पेंशन स्कीम का रेगुलेशन पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी की ओर से किया जाता है। इस स्कीम में आपको 60 साल की उम्र तक इनवेस्ट करना होता है। 60 साल की उम्र होने पर जमा रकम के 40 प्रतिशत हिस्से से पीएफआरडीए के पास रजिस्टर्ड किसी बीमा कंपनी से आपको एन्युइटी खरीदनी होगी। वहीं,आपके पास यह विकल्प होगा कि जमा रकम का 40 प्रतिशत हिस्सा विदड्रॉ कर लें। इस पर आपको टैक्स नहीं देना होगा। बचे हुए 20 प्रतिशत हिस्से को भी आप निकाल सकते हैं, लेकिन उस पर आपको अपनी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। आप चाहें तो इस 20 प्रतिशत हिस्से से एन्युटी भी खरीद सकते हैं। एनपीएस के तहत निवेश की गई रकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है। लेकिन इससे आपको होने वाली सालाना इनकम पर टैक्स लगता है।
6. गृह ऋण (होम लोन)
घर खरीदने के लिए लिया जाने वाला ऋण होम लोन कहलाता है। इस पर कर छूट मिलती है। इसलिए कई लोग घर खरीदने के लिए होम लोन का ऑप्शन चुनते हैं। क्योंकि होम लोन पर भी टैक्स में आकर्षक छूट मिलती है।
7. यूनिट लिंक्ड इनवेस्टमेंट प्लान
यूनिट लिंक्ड इनवेस्टमेंट प्लान यानी यूलिप एक ऐसा निवेश माध्यम है, जिसमें इंश्योरेंस का भी फायदा मिलता है। इसमें आपको 80सी के तहत डेढ़ लाख रुपये तक पर टैक्स छूट मिलती है। हालांकि, यदि यूलिप के तहत सालाना प्रीमियम ढाई लाख रुपये से अधिक होता है तो उस अतिरिक्त प्रीमियम पर भी टैक्स लगेगा। देखा जाए तो यह वैसे ही होगा, जैसे 1 लाख रुपये से अधिक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। इसमें डेट और इक्विटी के बीच स्विच करने में सहूलियत होती है, क्योंकि उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इसमें रिटर्न भी टैक्स फ्री है, जिसमें पैसा रिटायरमेंट तक लॉक नहीं होता है।
8. सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम
सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम (एससीएसएस) पहले से ही 60 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए निवेश का सबसे अच्छा विकल्प थी। पिछले दिनों यह स्कीम और बेहतर हो गई, जब इसमें ब्याज दर को एकाएक बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया गया। यह बात अलग है कि ब्याज वाली रकम पर टैक्स लगता है। जबकि 50 हजार रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री रहता है। कहने का तातपर्य यह कि यदि कोई 6 लाख 25 हजार रुपये तक निवेश करता है, तो उसे मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री रहेगा। यह स्कीम हर तिमाही की शुरुआत में पेंशन देती है। इस पर ब्याज 8 फीसदी है। इस प्रकार यह स्कीम पीपीएफ से अधिक रिटर्न देती है, जिससे इस ओर भी लोगों के रुझान बढ़े हैं।
9. रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड्स
यदि आप कम जोखिम के साथ लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो रिटायरमेंट फंड्स की ओर अभिरुचि ले सकते हैं। कारण कि ये भी टैक्स बचाने का एक अच्छा जरिया हैं। हालांकि, ईएलएसएस फंड्स में जहां लॉक-इन पीरियड तीन साल का होता है, वहीं रिटायमेंट्स फंड्स में आप पांच साल तक पैसा नहीं निकाल सकते हैं। इसलिए कुछ रिटायरमेंट फंड आपके 58 साल के होने से पहले रिडीम करने पर एग्जिट लोड भी वसूलते हैं। इसलिए इन स्कीम्स में निवेश करने से पहले सबकुछ सोच समझकर फैसले करें।
10. सुकन्या योजना
देश की सभी छोटी बचत योजनाओं में सुकन्या योजना की ब्याज दर सबसे अधिक थी। हालांकि, पिछले दिनों छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा की गई, तो इसमें कोई इजाफा नहीं किया गया। बावजूद इसके, यह योजना उन करदाताओं के लिए एक अच्छा विकल्प बनी हुई है, जिनकी बेटियां दस वर्ष से छोटी उम्र वाली हैं। बता दें कि फिलहाल इसमें 7. 6 प्रतिशत ब्याज मिलता है, जो सभी छोटी बचत योजनाओं में दूसरी सबसे बड़ी ब्याज दर बताई जाती है। जानकारों की मानें तो पीपीएफ की तरह सुकन्या योजना में भी मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री है। जिसमें सालाना निवेश की सीमा डेढ़ लाख रुपये है। यह खाता किसी भी डाकघर में खुलावाया जा सकता है। कोई भी माता-पिता केवल दो बेटियों का खाता खुलवा सकते हैं। लेकिन, दोनों खातों में निवेश सालाना 1.5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसलिए इसमें भी सोच समझकर निवेश करें।
11. पेंशन प्लान
पेंशन इंडस्ट्री इन दिनों भेदभाव की शिकार है। दरअसल, बीमा कंपनियों की पेंशन योजनाओं में एनपीएस या पीपीएफ जैसे रिटायरमेंट इनवेस्टमेंट बेनेफिट नहीं मिलते हैं। इसलिए एनपीएस की बढ़ती लोकप्रियता ने इंश्योरेंस कंपनियों की पेंशन योजनाओं को काफी पीछे छोड़ दिया है। यही वजह है कि इंश्योरेंस कंपनियां भी अब चाहती हैं कि एनपीएस में निवेशकों को जिस तरह सेक्शन 80सीसीडी (1बी) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये की टैक्स छूट मिलती है, यह उन्हें भी मिले। बता दें कि इसके तहत मिलने वाली पेंशन टैक्स के दायरे में आती है। क्योंकि इसे इनकम के रूप में देखा जाता है। इसलिए यह दूसरे रिटायरमेंट प्लान जितनी फायदेमंद नहीं है। लिहाजा, पेंशन प्लान में निवेश काफी सोच-समझकर करें।
– कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार