कहा जाता है कि कर्म ही पूजा है। कर्म कीजिए, लेकिन फल की इच्छा मत रखिए। जो मिल जाए, उसी में संतोष कर लीजिए। जनस्वास्थ्य की दृष्टि से तो यह बहुत ही उत्तम विचार है, कुछ हद तक व्यवहारिक भी है। लेकिन वक्त का तकाजा है कि समय और परिस्थितियों के मुताबिक किए हुए कर्म का आकलन तो होना ही चाहिए। उम्मीद के अनुरूप यदि फल नहीं मिले तो अपनी रणनीति भी बदलनी चाहिए। जरूरत पड़े तो कार्य और कार्यक्षेत्र भी। सेवा निवृति (रिटायरमेंट) यानी अवकाश प्राप्ति अथवा समय पूर्व सेवानिवृति यानी अवकाश प्राप्ति की सोच को यहीं से बल मिलता है, जो अमल भी किया जाता है।
वैसे भी अपने देश में विभिन्न पेशे से जुड़े कार्यों में, उससे सम्बन्धित सरकारी और निजी महकमों में सेवानिवृति यानी अवकाश प्राप्ति के अलग-अलग मानक निर्धारित हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि आम आदमी के लिए औसतन 60 वर्ष और खास आदमी के लिए 65 वर्ष या उससे ज्यादा भी। यह बहुत कुछ उनकी उपयोगिता और स्वास्थ्यगत समृद्धि पर निर्भर करता है। जहां निजी क्षेत्र में कर्मचारी या अधिकारी 60 साल तक सेवानिवृत्त (रिटायर) हो जाते हैं, वहीं उसके मालिक व उनके कृपा पात्र सेवानिवृति यानी अवकाशप्राप्ति के बाद भी किसी न किसी रूप में अपने पद पर बने रहते हैं, कमोबेश 75-80 साल तक।
उसी प्रकार से सरकारी क्षेत्र में भी जहां औसतन कर्मचारी या अधिकारी 58 से 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत हो जाते हैं यानी अवकाश प्राप्त कर लेते हैं, वहीं कुछ लोग तो समयपूर्व सेवानिवृति/अवकाशप्राप्ति (वीआरएस ) का लाभ उठाने में सफल हो जाते हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सेवानिवृत्ति यानी अवकाशप्राप्ति के बाद भी कार्य करने में सक्षम होते हैं और आउटसोर्स बेसिस पर कार्य करते रहते हैं। वहीं, सैन्य क्षेत्र में सेवानिवृति यानी अवकाश प्राप्त करने की आयु मात्र 40 साल ही है। किंतु अपवाद स्वरूप बड़े बड़े अधिकारी सामान्य सेवानिवृति लाभ हासिल कर लेने के बाद भी कभी सेवा विस्तार पा लेते हैं, तो कभी किसी आयोग में अपनी जगह बना लेते हैं।किसी न किसी बोर्ड या संगठन के सदस्य के रूप में वो तबतक जुड़े रहते हैं, जबतक उनका स्वास्थ्य साथ दे।
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वहीं, सियासत में व अन्य विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में, सरकारी आयोगों में यह सीमा 75- 80 या उससे भी ज्यादा उम्र तक भी देखी जाती है। हमारे गांव के किसान, मजदूर और कारोबारी तथा शहरी उद्यमी या पेशेवर भी तबतक कार्य करते रहते हैं, जब तक कि उनका स्वास्थ्य साथ देता रहता है। ऐसे में सेवानिवृति या अवकाश प्राप्ति या समयपूर्व सेवानिवृत्ति/अवकाश प्राप्ति (वीआरएस) की सोच उस मध्यमवर्गीय परिवार की सोच है, जो जरूरत पड़ने पर पैसे के लिए काम तो करता है, लेकिन एक समय के बाद उससे ऊबकर अपना काम बदलने या अवकाशप्राप्त कर लेने की सोचता है।
इसलिए कहा जाता है कि दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो लंबे समय तक काम के बोझ तले दबा रहना चाहता हो। कहने का तातपर्य यह कि अधिकतर लोग अपनी भागदौड़ की ज़िंदगी में जल्द सेवानिवृत्त (रिटायर) होकर आराम की ज़िंदगी बिताना पसंद करते हैं। हालांकि, ऐसा करना किसी के लिए भी इतना आसान नहीं होता, खासकर जिसके पास अतिरिक्त आमदनी के लिए खेती योग्य जमीन, बाग-बगीचे, मकान-दुकान-फैक्टरी या फिर अपना फर्म या कम्पनी नहीं हो। ऐसे में इस लक्ष्य को पाने के लिए कुछ काम के उपाय किये जा सकते हैं।
भले ही सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) की एक तय उम्र होती है, लेकिन अधिकतर लोग इस उम्र सीमा से पहले ही सेवानिवृत्त (रिटायर) होना चाहते हैं। इसकी कई वजहें हो सकती हैं, जैसे कि आराम की ज़िंदगी जीना, अपने उन शौक को पूरा करना जिनके लिए नौकरी की वजह से पहले समय निकालना मुश्किल होता था, खासकर यात्रा करना (ट्रैवलिंग), तनावमुक्त जीवन आदि। हालांकि सेवानिवृत्त (रिटायर) होना इतना आसान नहीं होता।
मसलन, ऐसा कोई भी व्यक्ति जो जल्द सेवानिवृत्त (रिटायर) होना चाहता है, उसके लिए यह सुनिश्चित करना ज़रूरी होता है कि उसके पास अपने आगे की ज़िंदगी आराम से निफिक्र होकर बिताने के लिए पर्याप्त जमापूँजी हो या फिर वह सबकुछ हो जिससे उसकी नियमित/मासिक आय बनी रहे। इसलिए मेरे विचार से जल्द सेवानिवृत्त/रिटायर होने का एक बेहतरीन उपाय है, जो काफी काम का होता है। इससे लोगों के जल्द सेवानिवृत्त/रिटायर होने का सपना भी पूरा हो सकता है। इसलिए आज यहां पर मैं आपको बताऊंगा कि आखिर में वो उपाय क्या है, जिसे करके कोई भी व्यक्ति समय पूर्व अवकाश प्राप्त करके आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर बना रह सकता है।
आपको पता होना चाहिए कि शीघ्र सेवानिवृत्त/रिटायर होने के लिए एक बेहद ही काम का उपाय है, जिसे फायर मेथड कहते हैं। यहां पर फायर मेथड (F.I.R.E. Method) में F.I.R.E. का आशय फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस, रिटायर अर्ली (Financial Independence, Retire Early) से है। दूसरे शब्दों में यदि कहें तो वित्तीय आज़ादी ही जल्द रिटायरमेंट के सपने साकार कर सकती है। यानि कि यदि आप वित्तीय रूप से स्वतंत्र हैं, तो जल्द सेवानिवृत्त/रिटायर हो सकते हैं।
# आइए जानते हैं कि फायर मेथड को कैसे करें इस्तेमाल?
वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि फायर मेथड (F.I.R.E. Method) का इस्तेमाल एक योजनाबद्ध तरीके से ही किया जा सकता है। इस उपाय के वास्ते 40 साल की उम्र तक वित्तीय आजादी (फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस) की प्राप्ति विशेष तौर पर जरूरी है। वित्तीय आजादी से जल्दी सेवानिवृत्ति/रिटायरमेंट में मदद मिलती है। हालांकि, इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है, अन्यथा अनुभूत आजादी किसी दूसरी गुलामी को न्यौता दे देगी।
# पहला, अपनी आय से बचत करना सीखिए
किसी भी इंसान का मितव्ययी होना बहुत जरूरी है। इससे बचत यानी सेविंग की प्रवृत्ति को बल मिलता है। किसी भी तरह से बचत करना वित्तीय आजादी (फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस) की प्राप्ति का सबसे आसान और बेहतरीन तरीका माना जाता है। वित्तीय आजादी/फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस की प्राप्ति के लिए कम उम्र से ही बचत/सेविंग करने की प्रवृति को विकसित करना चाहिए। एक रणनीति के तहत अपनी आय का जितना ज़्यादा से ज्यादा हिस्सा हो सके, उसको बचत/सेविंग के रूप में जमा करना चाहिए। इससे एक दिन आपकी बड़ी पूंजी खड़ी हो जाएगी और आप आत्मनिर्भर बन जाएंगे।
# अपनी बचत को निवेश करते हुए जोड़ते रहिये और खर्चे कम कीजिए
कोई भी व्यक्ति जो समय रहते हुए आर्थिक आजादी हासिल करना चाहता है, उसे अपनी आय के एक हिस्से को निवेश (इन्वेस्टमेंट) के रूप में जोड़ते रहना चाहिए। इससे अतिरिक्त लाभ (एक्स्ट्रा प्रॉफिट) होता रहता है, जिससे वित्तीय आजादी (फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस) हासिल करने में मदद मिलती है। वहीं, वित्तीय आजादी (फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस) की प्राप्ति के लिए अपने खर्चों को कम करते रहना भी ज़रूरी है। क्योंकि जब कोई व्यक्ति अनावश्यक खर्चों से बचकर निकलता रहता है तो समझिए कि उसको वित्तीय आजादी (फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस) की प्राप्ति में मदद मिलती रहती है। यह क्रम टूटने से कोई भी व्यक्ति आर्थिक गुलामी की ओर अग्रसर हो जाता है।
# अपनी आय बढ़ाना सीखिए
हमारे यहां पर एक कहावत प्रचलित है कि आमद से बेसी पैसे को खर्चा करना ना चाहिए और अपने बुरे दिनों के लिए या शुभ कार्यों के वास्ते कुछ न कुछ जोड़ते रहने के प्रयत्न करने चाहिए। यह दोनों कार्य कोई भी व्यक्ति तभी कर सकता है, जबकि उसकी आय बढ़ती रहेगी। किसी भी व्यक्ति के आय बढ़ने के पीछे उसके अंदर मौजूद हुनर और उसके सम्यक प्रयोग-अनुप्रयोग के अलावा जीवनोपयोगी अच्छी आदतों के बहुत बड़ा हाथ होता है। इसलिए हर किसी को अपनी वित्तीय आजादी (फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस) की प्राप्ति के लिए अपनी आय बढ़ाने की कोशिश भी करते रहना चाहिए। इसके लिए सकारात्मक रहकर अतिरिक्त कार्य यानी साइड बिज़नेस भी किया जा सकता है। इसके अलावा, आप जिस जॉब में हैं, उससे बेहतर जॉब पाने की कोशिश भी की जा सकती है, ताकि वेतन व भत्ते बढ़ते रहें। यदि आप ऐसा करते रहेंगे तो आपकी वित्तीय आजादी हर वक्त बनी रहेगी, अन्यथा नहीं।
– कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार