प्रभासाक्षी के चाय पर समीक्षा कार्यक्रम में हमेशा की तरह हमने देश के राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे। इस सप्ताह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली के दौरे पर थे। उन्होंने विपक्ष के नेताओं से मुलाकात की और एकजुटता की बात कही। इसी को लेकर हमने पहला सवाल नीरज दुबे से पूछा। नीरज दुबे ने सवाल के जवाब में कहा कि समय-समय पर विपक्षी एकजुटता के प्रयास हमने देखे हैं। नीरज दुबे ने कहा कि वर्तमान में जो राजनीतिक परिदृश्य है इसमें अकेले-अकेले लड़ने से बेहतर है कि मुट्ठी बंद करके लड़ो। एकता में ही बल होता है। हालांकि, यह बात भी सच है कि इस बंद मुट्ठी का मुकाबला उन बाजुओं से है जिसके पास प्रचंड बहुमत है और लगभग साढ़े तीन दशक के बाद ऐसा हुआ है। हालांकि, अच्छी बात है कि मुकाबला अब और तगड़ा देखने को मिलेगा और देखना दिलचस्प होगा कि ताकत मुट्ठी में है या फिर बाजू में।
नीरज दुबे ने कहा कि जब भी कोई चुनाव होता है हर एक नेता यही कहता है कि हम मजबूती से चुनाव लड़ेंगे और इतनी सीटें जीत जाएंगे ताकि कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा रहे। लेकिन लोकतंत्र में जनता मालिक है। विपक्षी एकता पर बात करते हुए नीरज दुबे ने कहा कि इसमें प्रयास हो रहे हैं। नीतीश कुमार कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने दिल्ली यात्रा को सफल भी बताया। लेकिन देखना दिलचस्प होगा नीतीश कुमार के पास कितनी शक्ति बची हुई है। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि जो व्यक्ति 2004 से अपनी चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं दिखा पाया, वह कांग्रेस को सपने दिखा रहा है कि हम 2024 का चुनाव आपको जितवा देंगे। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का नीतीश कुमार रिकॉर्ड बना चुके हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अपने बलबूते वह कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बन सके।
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नीरज दुबे ने कहा कि अभी की स्थिति को आप देख लें तो बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार के पार्टी तीसरे नंबर की है। उनकी सरकार पर सवाल उठते हैं। बिहार में शराब बंद है, बावजूद इसके हर रोज खबर आती है शराब पीने से कितने लोग मर गए। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी भी काम होने बाकी हैं। बिहार से लोगों का पलायन भी जारी है। नीरज दुबे ने यह भी कहा कि वर्तमान में जो विपक्षी नेताओं की खिचड़ी पक रही है, इसके बाद से सवाल यह भी उठता है कि क्या देश गठबंधन की राजनीति में वापस जाना चाहेगा? नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि देश मजबूत सरकार चाहता है। वर्तमान में सरकार मजबूती से फैसले लेती है। मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री थे तो उन्हें बोलना पड़ा था कि सरकार में गठबंधन की भी मजबूरी होती है।
प्रधानमंत्री पद के चेहरे को लेकर भी बातचीत की उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पद एक है लेकिन इसके दावेदार कई हैं। विपक्ष एक तो हो रहा है लेकिन वह यह तो बताएं कि उनका चेहरा कौन होगा। ममता बनर्जी अलग सपने देख रही हैं, वहीं, केसीआर के भी अपने अलग दावे हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी लगातार कहती रही है कि 2024 का मुकाबला अरविंद केजरीवाल बनाम नरेंद्र मोदी होगा। तो क्या कांग्रेस का नेतृत्व आम आदमी पार्टी स्वीकार करेगी। इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि हमने देखा है कि कैसे राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी विपक्षी एकता को दिखाने की कोशिश की गई लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में यह बिखरा हुआ नजर आया।