रवींद्रनाथ टैगोर एक महान कवि, नाटककार, चित्रकार, उपन्यासकार और दार्शनिक थे। वह एशिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनको नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आज ही के दिन यानी की 7 मई को गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म हुआ था। वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और शिक्षा
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को हुआ था। वह अपने अभिभावक की 13वीं संतान थे। उनके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर शुरुआत से ही समाज के लिए समर्पित थे। बचपन में सभी रवींद्रनाथ को रबी नाम से बुलाते थे। वहीं बड़े होने के बाद उनको ‘गुरुदेव’ के नाम से भी ख्याति मिली। महज 8 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी। जिसके बाद 16 साल की उम्र में उन्होंने नाटक व कहानियां लिखनी शुरू कर दी थीं।
रवींद्रनाथ की शुरूआती शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल से हुई। रवींद्रनाथ के पिता उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने रवींद्रनाथ का साल 1878 में लंदन के विश्वविद्यालय एडमिशन करवा दिया। लेकिन उन्हें तो साहित्य में रुचि थी। इसलिए वह साल 1880 में यूनिवर्सिटी से बैरिस्टर की डिग्री लिए बिना ही वापस अपने देश लौट आए। 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह हुआ था।
टैगोर की रचनाएं
रवींद्रनाथ टैगोर की रूचि बहुत सारे विषयों में थी। उन्होंने हर क्षेत्र में अपनी ख्याति फैलाई। इसीलिए उनको एक महान कवि, लेखक, चित्रकार व समाजसेवी कहा जाता है। रवींद्रनाथ टैगोर ने करीब 2230 गीतों की रचना की। उनकी रचनाएं, बंगाली संस्कृति, संस्कृति में थे। वह साहित्य के क्षेत्र में अमिट योगदान देने वाले एक महान साहित्यकार थे। यह तो आप सभी जानते होंगे कि रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ को लिखा है। इसके साथ ही उन्होंने बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी लिखा है। लेकिन बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा टैगोर की कविता से प्रेरित है।
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टैगोर की कार्यशैली
रवींद्रनाथ टैगोर निरंतर कार्य करने पर विश्वास रखते थे। उन्होंने अपने जीवन काल में कई ऐसे कार्य किए हैं। जिससे लोगों का भला हुआ है। बता दें कि उन्होंने साल 1901 में शांतिनिकेतन की स्थापना की थी। जहां पर पढ़ने वाले हर विद्यार्थी को अच्छा माहौल देने के लिए टैगोर ने शान्तिनिकेतन में पेड़-पौधों के साथ प्राकृतिक माहौल तैयार किया था। उनके अथक प्रयासों के बाद शांतिनिकेतन को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ।
उपलब्धियां
गुरुदेव को उनके जीवन काल में कई उपलब्धियों से नवाजा गया था। लेकिन उनको साल 1913 में ‘गीतांजलि’ के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
रवींद्रनाथ टैगोर भारत को और बांग्लादेश को उनकी सबसे बड़ी अमानत के तौर पर राष्ट्रगान दिया। जिसमें भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ है तो वहीं बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ है।
टैगोर की अपने जीवन में तीन बार अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक से भी मिले। बता दें कि अल्बर्ट आइंस्टीन उन्हें रब्बी टैगोर कह कर पुकारते थे।
मृत्यु
रवींद्रनाथ टैगोर को ब्रिटिश सरकार ने ‘सर’ की उपाधि से भी नवाजा था। हालांकि साल 1919 में जलियांवाला बाग में हुए कत्लेआम के विरोध के तौर पर उन्होंने ‘सर’ की उपाधि को वापस कर दिया था। कहा जाता है कि टैगोर को कलर ब्लाइंडनेस था। इसके अलावा वह प्रोस्टेट कैंसर से भी पीड़ित थे। 7 अगस्त 1941 को रवींद्रनाथ टैगोर का निधन हो गया।