फिल्म द केरल स्टोरी को लेकर हो रहे बवाल के बीच इस फिल्म की टीम देश के विभिन्न शहरों का दौरा कर अपना पक्ष रख रही है और बता रही है कि यह फिल्म किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, यह फिल्म किसी राज्य की छवि बिगाड़ने का अभियान नहीं है बल्कि यह फिल्म सत्य घटनाओं और पीड़ितों के अनुभवों पर आधारित है। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस, वामपंथी दलों और कुछ अन्य दलों के नेता इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं वह दर्शा रहा है कि जैसे ‘द कश्मीर फाइल्स’ का विरोध किया गया था उसी तर्ज पर ‘द केरल स्टोरी’ के विरोध की भी पटकथा लिखी गयी है।
‘द केरल स्टोरी’ का विरोध यह भी दर्शाता है कि टूलकिट गैंग की सोच में कितना विरोधाभास है। अभी कुछ दिनों पहले गुजरात दंगों पर एक एजेंडा के तहत बनाई गयी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को टूलकिट गैंग से जुड़े लोग जबरन हर विश्वविद्यालय और हर मोहल्ले में दिखाने पर आमादा थे लेकिन अब जब ‘द केरल स्टोरी’ आ रही है तो यह इसके प्रदर्शन पर रोक लगवाना चाहते हैं। कांग्रेस, माकपा, ओवैसी की पार्टी जैसे तमाम दल और जमीयत उलमा-ए-हिंद जैसे संगठन फिल्म के विरोध में खड़े हो गये हैं। देखा जाये तो टूलकिट गैंग के लिए अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ यही है कि जो उनकी विचारधारा है या जो उनके विचार हैं वही अभिव्यक्त या प्रदर्शित किये जाएं।
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‘द केरल स्टोरी’ का विरोध यह भी दर्शा रहा है कि टूलकिट गैंग अपने पापों पर तो पर्दा डालता ही है साथ ही दूसरे देश में बैठे उनकी विचारधारा वाले लोग भी यदि भारत में कोई गलत काम कर रहे हैं तो उसको भी छिपाता है। ‘द केरल स्टोरी’ के विरोधियों से सवाल यह है कि क्या कुछ समय पहले तक केरल में आईएस समर्थकों की प्रभावी उपस्थिति नहीं थी? क्या केरल से किसी भी परिवार की महिला या पुरुष ने विदेशी आतंकी संगठनों के झांसे में आकर अपने जीवन को बर्बाद नहीं किया था? केरल में आईएस विचारधारा की उपस्थिति और उसके पीड़ितों के होने की बात से इंकार करना सच को झुठलाने जैसा है। यदि वर्तमान सरकार ने एनआईए को सशक्त नहीं बनाया होता तो केरल में आईएस की जड़ें मजबूत होने से रोका नहीं जा सकता था।
बहरहाल, समाज का कोई वर्ग पीड़ित रहा है और उसका सच सामने लाकर सभी को सतर्क किया जा रहा है तो उसकी सराहना करने की बजाय उसका विरोध करके टूलकिट गैंग अपनी पतली हालत का भी इजहार कर रहा है क्योंकि उसे अब डर सिर्फ फिल्म से ही नहीं बल्कि इसके ‘टीजर’ व ‘ट्रेलर’ से भी लग रहा है।
-नीरज कुमार दुबे